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आप बनाम केंद्र : लोकतंत्र के लिए अच्छा संकेत ?

चक्रधारी बड़नगर
चक्रधारी बड़नगर
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आप बनाम केंद्र : लोकतंत्र के लिए अच्छा संकेत ?
दिल्ली में लोकतंत्र और प्रसाशन  के बीच जो लड़ाई चल रही हें, वह नहीं होना चाहिए थी, लेकिन यह होना लोकतंत्र के लिए एक अच्छा संकेत भी हें।  अगर यह लड़ाई किसी निर्णय पर पहुँच कर ख़त्म होती हें, यानि के दिल्ली के समस्त विवादित मुद्दो पर स्पष्ट नीतिया निर्धारित हो जाती हें, तो दिल्ली और वंहा की आम जनता के लिए आने वाले समय में  अच्छे और साफ सुथरे प्रशासन का मार्ग प्रशस्त  होगा।
यह लड़ाई देश के भविष्य के लिए भी अत्यंत महत्त्वपूर्ण हें, क्योकि दिल्ली और केंद्र दोनों सरकार पूर्ण और स्पष्ट बहुमत की सरकार हें। इनके निरकुंश होने की संभावना बहुत अधिक हें, और ऐसा दिखने भी लगा हें, दोनों की कार्य  प्रणाली कुछ इस तरह की हे की वह अपने द्वारा लिए गए निर्णय पर किसी का हस्तक्षेप नहीं चाहती हें।  दिल्ली और केंद्र दोनों ही जगह विपक्ष या तो कमजोर हें या विश्वसनीय नहीं हें।
आप और बीजेपी दोनों ही किसी भी मुद्दे को अत्यंत शक्तिशाली तरीके से उठाने में सक्षम हें, यानि के अगर केंद्र ने इस मुद्दे में अपना हाथ डाला हें तो उसने आम आदमी पार्टी को अपने आप ही अपने विपक्ष में बोलने के लिए खड़ा कर लिया हें, जिसके कारन देश को एक मजबूत विपक्ष मिल गया हें, जोकि देश के लिए आने वाले समय में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता हें। अभी देश को एक मजबूत और विश्वसनीय विपक्ष की बहुत जरुरत हें, क्योकि केंद्र की सरकार कई मामलो में निरंकुशता  की और बढ़ती दिखाई दे रही हैं। उसने अपने जो मुख्य और वरिष्ठ सलाहकार थे उन सभी को किनारे पर कर दिया हें, और अभी सक्रीय हें, उनमे से ज्यादातर आत्ममुग्ध हें, वे जो सोचते हे उसके आगे वे कुछ समझना ही नहीं चाहते हैं। (कुछ मामलो में यही स्तिथि आम आदमी पार्टी की हैं।)
जिसके कारण वे कई गलतियां भी कर रहे हें, जो उनके और देश की जनता के लिए अत्यंत हानिकारक हो सकती हैं।
कई ऐसी योजनाएं हे जो की केंद्र सरकार द्वारा लागु की गई हें, उनमे कई कमियां दिखाई दे रही हें, जो की सही राय और जानकारी का अभाव दर्शाती हैं। इनकी कई योजनाएं जमीनी स्तर पर किसी के लिए लाभदायक नहीं हैं।
भ्रष्टाचार भी जमीनी स्तर पर कम होता दिखाई नहीं दे रहा हैं, नाही भ्रष्ट लोगो में किसी प्रकार का कोई डर दिखाई दे रहा हैं।
यानि की केंद्र द्वारा किये जाने वाले ज्यादातर कार्यो का आम जनता को लाभ मिलता दिखाई नहीं दे रहा हैं।
अभी जिस तरह से केंद्र ने दिल्ली में हस्तक्षेप करते हुए उप राजयपाल को ज्यादा अधिकार दिए, और फिर हाई कोर्ट ने उस पर रोक लगाकर उन्हें जनादेश का सम्मान करने को कहा, उससे केंद्र सरकार और उप राज्यपाल की गरिमा कम ही हुई हैं।
यदि इनका सही तरीके से विरोध होगा तो योजना बनाने वाले लोगो पर दबाव भी होगा। यदि केंद्र सरकार आम आदमी पार्टी का इस तरह से विरोध करती हैं, और आम आदमी पार्टी भी पूरी ताकत से इसका जवाब देती हैं, तो कई तरह के सुधार हमें देखने को मिल सकते हैं। क्योकि दोनों को ही अपने अंदर झांकना होगा और अपनी गलतियों को सुधारना पड़ेगा। और नीतियों और नियमो का निर्धारण सही होगा, यह देश के लिए अच्छा ही होगा।
(A.C.)

आप बनाम केंद्र : लोकतंत्र के लिए अच्छा संकेत ?

दिल्ली में लोकतंत्र और प्रसाशन  के बीच जो लड़ाई चल रही हें, वह नहीं होना चाहिए थी, लेकिन यह होना लोकतंत्र के लिए एक अच्छा संकेत भी हें।  अगर यह लड़ाई किसी निर्णय पर पहुँच कर ख़त्म होती हें, यानि के दिल्ली के समस्त विवादित मुद्दो पर स्पष्ट नीतिया निर्धारित हो जाती हें, तो दिल्ली और वंहा की आम जनता के लिए आने वाले समय में  अच्छे और साफ सुथरे प्रशासन का मार्ग प्रशस्त  होगा।

यह लड़ाई देश के भविष्य के लिए भी अत्यंत महत्त्वपूर्ण हें, क्योकि दिल्ली और केंद्र दोनों सरकार पूर्ण और स्पष्ट बहुमत की सरकार हें। इनके निरकुंश होने की संभावना बहुत अधिक हें, और ऐसा दिखने भी लगा हें, दोनों की कार्य  प्रणाली कुछ इस तरह की हे की वह अपने द्वारा लिए गए निर्णय पर किसी का हस्तक्षेप नहीं चाहती हें।  दिल्ली और केंद्र दोनों ही जगह विपक्ष या तो कमजोर हें या विश्वसनीय नहीं हें।

आप और बीजेपी दोनों ही किसी भी मुद्दे को अत्यंत शक्तिशाली तरीके से उठाने में सक्षम हें, यानि के अगर केंद्र ने इस मुद्दे में अपना हाथ डाला हें तो उसने आम आदमी पार्टी को अपने आप ही अपने विपक्ष में बोलने के लिए खड़ा कर लिया हें, जिसके कारन देश को एक मजबूत विपक्ष मिल गया हें, जोकि देश के लिए आने वाले समय में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता हें। अभी देश को एक मजबूत और विश्वसनीय विपक्ष की बहुत जरुरत हें, क्योकि केंद्र की सरकार कई मामलो में निरंकुशता  की और बढ़ती दिखाई दे रही हैं। उसने अपने जो मुख्य और वरिष्ठ सलाहकार थे उन सभी को किनारे पर कर दिया हें, और अभी सक्रीय हें, उनमे से ज्यादातर आत्ममुग्ध हें, वे जो सोचते हे उसके आगे वे कुछ समझना ही नहीं चाहते हैं। (कुछ मामलो में यही स्तिथि आम आदमी पार्टी की हैं।)

जिसके कारण वे कई गलतियां भी कर रहे हें, जो उनके और देश की जनता के लिए अत्यंत हानिकारक हो सकती हैं।

कई ऐसी योजनाएं हे जो की केंद्र सरकार द्वारा लागु की गई हें, उनमे कई कमियां दिखाई दे रही हें, जो की सही राय और जानकारी का अभाव दर्शाती हैं। इनकी कई योजनाएं जमीनी स्तर पर किसी के लिए लाभदायक नहीं हैं।

भ्रष्टाचार भी जमीनी स्तर पर कम होता दिखाई नहीं दे रहा हैं, नाही भ्रष्ट लोगो में किसी प्रकार का कोई डर दिखाई दे रहा हैं।

यानि की केंद्र द्वारा किये जाने वाले ज्यादातर कार्यो का आम जनता को लाभ मिलता दिखाई नहीं दे रहा हैं।

अभी जिस तरह से केंद्र ने दिल्ली में हस्तक्षेप करते हुए उप राजयपाल को ज्यादा अधिकार दिए, और फिर हाई कोर्ट ने उस पर रोक लगाकर उन्हें जनादेश का सम्मान करने को कहा, उससे केंद्र सरकार और उप राज्यपाल की गरिमा कम ही हुई हैं।

यदि केंद्र सरकार आम आदमी पार्टी का इस तरह से विरोध करती हैं, और आम आदमी पार्टी भी पूरी ताकत से इसका जवाब देती हैं, तो कई तरह के सुधार हमें देखने को मिल सकते हैं। क्योकि दोनों को ही अपने अंदर झांकना होगा और अपनी गलतियों को सुधारना पड़ेगा और नीतियों और नियमो का निर्धारण सही होगा।

अगर यह दोनों स्वस्थ राजनीती के नियमो का पालन करते हुए या उसे ध्यान में रखते हुए, यह लड़ाई करते हैं तो यह देश और लोकतंत्र  के  लिए अच्छा संकेत हो सकता हैं।

(A.C.)

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